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कश्मीर के मुख्य मंत्री द्वारा आतंकवादी लियाकत अली का समर्थन कर ये साबित कर दिया की वह सम्प्रदायक ताकतों के दबाव में कम कर रहे हे ,जो आरोप क्षेत्रीय पार्टिया बी जे पी पर लगती आ रही हे ,वही आज इस रास्त्र की suraksha से जुड़े मुद्दे पर चुप हे ,मोदी पर सम्प्रदायक का राप अलाप ने वाला मीडिया भी आब चुप हे ,एक सम्भिधानिक पद पर बेठे मुख्य मंत्री को आतंकवादी का समर्थन कहा तक नेतिक हे ,जबकी उनके ही पुलिस प्रमुख का यह कहना हे की ,लियाकत ने उसके द्वारा समर्पण करने की कोई सूचना पुलिस को नहीं दी थी ,फिर मुख्य मंत्री किस आधार पर उसका बचाव कर रहे हे ,जब की दुनिया जानती हे की वो आतंकवादी हे,
पर इस देश की ये बत्किस्माती हे की ,संजय दत्त और अन्य अपराधियों को जिनको अदालतों ने दोसी माना हे बचने के लिए मीडिया से लेकर नेता और गुमराह जनता मुहीम चलाती हे ,देश के वो लोग जो इनके आतंक से मरे क्या उनके व उनके परिवार के कोई मानवाधिकार नहीं हे .सम्प्रदायक ताकतों को सत्ता से दूर रखने के नाम पर ये क्षेत्रीय पार्टिया देश का शौसन कब तक करेगे .और कांग्रेश कब तक इनकी आड़ में घोटाले करती रहेगे ,क्या सम्प्रदायकता देश से बढकर हे ,इस देश में सम्प्रदायकता की दोहरी परिभाषा क्यों हे ,देश की जनता सम्प्रदायकता और राष्ट्रीयता का अंतर कब साम्झेगी / सम्प्रदायिकाता राष्ट्रीयता से बढकर नहीं हे ,सम्प्रदायक पार्टी को सत्ता से बहार रखने के नाम पर क्षेत्रीय पार्टियों के साथ मिलकर कांग्रेश देश का शोसन कर रही हे ,कांग्रेश और उसके सहयोगी पार्टियों से यही एक प्रशन हे क्या कश्मीर के मुख्य मंत्री द्वारा आतंकवादी लियाकत अली का समर्थन सम्प्रदायक नहीं हे
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