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झूठी धरमनिर्पेक्षता से बढकर भारतीयता है /संस्कृतिक राष्ट्रवाद व राष्ट्र के प्रतीकों के सम्मान से ही राष्ट्रीय भावना जनम लेती हे

Advocate
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आज भारत में नकारात्मक सोच का कल चल रहा हे / जनता से लेकर मीडिया तक नकारात्मक सोचा से प्रभावित हे ,
भारत में घटित हर घटना को नकारात्मकता से देखा जाता हे और उस पर नकारात्मक दिशा में चर्चा की जाती हे ,
जेसे किसी अपराधी को सुप्रेम कोर्ट दोसी करार देता ,उसके बाद मीडिया मंचा से उसके निर्दोष हिने या न होने की चर्चा यही इंकित करती हे ,जबकी चर्चा इस तरह के लोगॊ की निंदा से होनी चाहिए ,न की समर्थन ,चर्चा आतंकवादियों के मानव अधिकार की होती हे ,उनके हाथ मरे गए हजारो नागरिको और देश भक्त सेनिको के मानव अधिकारों की नहीं ,केसे बुधाजीवी और मानवाधिकारी पैदा कर रहे हे हम ,जो मानवाधिकार का हनन करने वाले आतंकियों में मानवता देखते हे ,आदतन अपराधियों के सामने अगर आज गांधी भी जाते तो दोनों गालो में चाटा खाके आते /हम ये क्यों भूल जाते हे की अहिन्षा की रक्षा वीर ही कर सकते हे कायर नहीं अगर एसा होता ,तो देश की सीमा पर सेनिक नहीं ,बोध भिच्छु बेठे होते ,पर आज तो राष्ट्र रक्षा में बोद्हो ने भी हतियार उठा रखे हे
राष्ट्रयियता भारतीयता की चर्चा करने वालो में कमिय देखी जाती हे और राष्ट्र विरोधी लोगो के प्रती सकारात्मक राइ बनाने का प्रयाश किया जाता हे ”कोई भी मानव सम्पूर्ण नहीं हे ,पर दो लोगो के मध्य तुलना करने से पहले हमें दोनों की राष्ट्र के प्रती क्या धरना हे देखनी होगी ,राष्ट्र के निर्माण हेतु जनता को किसी न किसीको तो सामने लाना ही होगा ,एक व्यक्ती में अगर राष्ट्रीय भावना संस्कृतिक राष्ट्रवाद और अपने राष्ट्रीय प्रतीकों प्रती सम्मान हे झूठी धरमनिर्पेक्षता से बढकर भारतीयता है /और दुसरी तरफ वह व्यक्ती हे जिसे रास्ट्रीय प्रतीकों में संस्कृतिक राष्ट्राबाद में धर्मिक्तुस्तीकरण दिखता हे
वन्दे मातरम के गीतों में राष्ट्र के प्रतीकों में राष्ट्रीय भाषा में सम्प्रदायकता दिखती हे ,,तो एसी धरमनिर्पेक्षता वाली विचारधारा को कट्टर राष्ट्रवादी विचारधारा के पैरो ताले रोध दो ,, और तब अगर कोई इसे धार्मिक कट्टरता कहे तो कहना यह संस्कृतिक राष्ट्रवाद हे .
संस्कृतिक राष्ट्रवाद व राष्ट्र के प्रतीकों के सम्मान से ही राष्ट्रीय भावना जनम लेती हे और इसके बिना लोकतंत्र अधुरा हे राष्ट्रवादी सोचा को पैरो के नीचे कुचल कर मिलने वाला विकाश हमें नहीं चाहिए ,हम भूखो मर लेगे पर हमें एक राष्ट्रवादी सरकार चाहिए .क्यों की जब राष्ट्र ही नहीं रहेगा तो गुलामी के विकास का क्या करेगे /
धार्मिक तुस्टीकरण के चलते आतंकवादियों देश द्रोहियों व भ्रष्टाचारियो का समर्थन करने वाली सरकार नहीं चाहिए और न ही एसे नेता चाहिए जो धरमनिर्पेक्षता के नाम पर लाखो करोडो का घोटाला करने वाली सरकार का समर्थन करते हे और जिनके लिए विकाश से बढकर सांप्रदायिक तुस्टीकरण हे ,,जिनकी नीतिया गरीबी से नहीं किसा जाती में लोगो की कितनी संख्या हे से निर्धारित होती हे ,, जन्शंख्या वृद्धी का यह भी एक कारन हे / देश में जाती का संरक्षण बंद हो योग्यता का संरक्षण हो सांप्रदायिक सोच रास्ट्रीय सोचा में बदले ,,
जय हिन्द वनदे मातरम बोलने में सरम करने वाले व सम्प्रदायकता देखने वाले .जय श्री राम जय भीम आल्ह्हा हु अकबर ,जय इंडिया के नारी मात्र अपनी स्वार्थ के राजनीत चमकाने को लगाते हे जनता को यह समझाना होगा रास्ट्र सर्वो परी होना चाहिए /और राष्ट उस देश की भूमि संस्क्रती और उसके रास्ट्रीय प्रतीकों और राष्ट्रीय भाषा से बनता हे /
महिपाल सिंह

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